भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो रेल कोलकाता मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड सेक्शन का हिस्सा है. इसका उद्घाटन फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
यह अंडरवाटर सेवा हुगली नदी के नीचे बनने वाली 520 मीटर लंबी सुरंग है, जो सिर्फ 45 सेकंड में हावड़ा और साल्ट लेक को जोड़ती है। इस रूट पर स्थित हावड़ा मैदान स्टेशन भारत का सबसे गहरा मेट्रो स्टेशन है, जो जमीन से 30 मीटर नीचे है। यह इंजीनियरिंग का कमाल भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का एक बड़ा मील का पत्थर है और जटिल परिवहन परियोजनाओं को पूरा करने की देश की क्षमता को दर्शाता है।
India's first underwater metro Kolkata
kolkata underwater metro start date
कब: 22 जून, 2023
कहाँ: कोलकाता, भारत
कौन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
विशेषताएं:
kolkata underwater metro length
भारत का सबसे गहरा मेट्रो स्टेशन (हावड़ा मैदान) - जमीन से 30 मीटर नीचे
4.8 किलोमीटर लंबे हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड मेट्रो रेल सेक्शन का हिस्सा
16.6 किलोमीटर लंबे ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का हिस्सा
4,960 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित
520 मीटर लंबी सुरंग, हुगली नदी के नीचे से गुजरती है
45 सेकंड में हावड़ा और साल्ट लेक को जोड़ती है
महत्व:
भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का एक बड़ा मील का पत्थर
जटिल परिवहन परियोजनाओं को पूरा करने की देश की क्षमता को दर्शाता है
कोलकाता में मेट्रो सेवाओं को बेहतर बनाता है
यात्रियों के लिए समय और पैसा बचाता है
पर्यटन को बढ़ावा देता है
उद्घाटन समारोह:
प्रधानमंत्री मोदी ने हावड़ा मैदान स्टेशन का उद्घाटन किया
उन्होंने मेट्रो ट्रेन में सफर किया
उन्होंने सभा को संबोधित किया
Underwater Metro Features
यह लाइन 4.8 किलोमीटर लंबी है और इसमें 5 स्टेशन हैं
यह लाइन पूरी तरह से स्वचालित है
ट्रेनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटा है
ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे और एलसीडी स्क्रीन लगे हैं
ट्रेनों में व्हीलचेयर के लिए भी जगह है
यह लाइन कोलकाता के लोगों के लिए एक बड़ी सुविधा है। यह लाइन शहर में यात्रा को आसान और सुविधाजनक बनाएगी।
India's first underwater metro route
भारत का पहला अंडरवाटर मेट्रो मार्ग कोलकाता मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड सेक्शन का हिस्सा है। इसका उद्घाटन फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
यह अंडरवाटर सेवा हुगली नदी के नीचे से गुजरने वाली 520 मीटर लंबी सुरंग है, जो सिर्फ 45 सेकंड में हावड़ा और साल्ट लेक को जोड़ती है। इस रूट पर स्थित हावड़ा मैदान स्टेशन भारत का सबसे गहरा मेट्रो स्टेशन है, जो जमीन से 30 मीटर नीचे है। यह इंजीनियरिंग का कमाल भारत के बुनियादी ढांचे के विकास का एक बड़ा मील का पत्थर है और जटिल परिवहन परियोजनाओं को पूरा करने की देश की क्षमता को दर्शाता है।
Kolkata Metro History
कोलकाता मेट्रो का इतिहास महत्वाकांक्षा, दृढ़ता और इंजीनियरिंग के चमत्कारों की एक दिलचस्प कहानी है। आइए इसकी यात्रा पर एक नज़र डालें:
शुरुआती सपने (1920 का दशक): कोलकाता में तेजी से बढ़ते ट्रैफिक जाम को देखते हुए 1920 के दशक में एक रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के लिए शुरुआती बीज बोए गए थे। हालांकि, ठोस योजनाएँ बहुत बाद में ही बनीं।
मास्टर प्लान और आधारशिला (1971-1972): 1971 में, 97.5 किमी से अधिक में फैले तीन उत्तर-दक्षिण गलियारों के नेटवर्क को रेखांकित करते हुए एक व्यापक मास्टर प्लान तैयार किया गया था। अगले वर्ष, 29 दिसंबर 1972 को, परियोजना की आधारशिला रखी गई, जो निर्माण की आधिकारिक शुरुआत थी।
भारत का पहला मेट्रो (1984): वर्षों के निरंतर प्रयासों के बाद, कोलकाता मेट्रो का पहला खंड, एस्प्लेनेड और भवानीपुर के बीच 3.4 किमी का खंड, आखिरकार 24 अक्टूबर 1984 को उद्घाटित किया गया। इस ऐतिहासिक घटना ने भारत की पहली चालू मेट्रो प्रणाली के जन्म को चिह्नित किया।
धीरे-धीरे विस्तार (1984-2013): प्रारंभिक लाइन ने चरणों में धीरे-धीरे विस्तार देखा, 1995 तक दक्षिण में टॉलीगंज और 2013 तक उत्तर में नोआपाड़ा तक पहुंच गई। इन विस्तारों का उद्देश्य बढ़ती यात्री संख्या को पूरा करना और शहर के भीतर संपर्क को बेहतर बनाना था।
पूर्व-पश्चिम गलियारा (2008-2024): 2008 में, महत्वाकांक्षी पूर्व-पश्चिम गलियारा परियोजना को मंजूरी दी गई, जिसका लक्ष्य भारत के दो सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों हावड़ा और सियालदह को जोड़ना था। इस कॉरिडोर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर शामिल था - हुगली नदी के नीचे से गुजरने वाली देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो क्रॉसिंग। फरवरी 2024 में उद्घाटित यह खंड जटिल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता का प्रमाण है।
आज, कोलकाता मेट्रो नेटवर्क में तीन परिचालन लाइनें हैं, जिनके भविष्य में और विस्तार की योजना है। यह महत्वपूर्ण परिवहन प्रणाली हर दिन लाखों यात्रियों की सेवा करती रहती है, ट्रैफिक जाम को कम करती है और हलचल भरे शहर के भीतर तेज, अधिक विश्वसनीय यात्रा विकल्प प्रदान करती है।