धनतेरस के अगले दिन से दिवाली के महापर्वकी शुरुआत हो जाती है। धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है। इसे कहते हैंनरक चतुरर्दशी, रूप चौदस या रूप चतुर्दशी के नाम सेभी जाना जाता है। इस दिन भगवान को प्रसन्न करनेके लिए भगवान की आरती करनी चाहिए। आरती करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। नरक चतुर्दशी के दिन यमदेव की भी पूजा का विधान है। मान्यता हैकि इस दिन यमदेव के नाम का दीपक जलानेव पूजन करनेसेनरक जानेसेमुक्ति मिलती हैऔर सभी पाप नष्ट हो जातेहैं। छोटी दिवाली के दिन हनुमान जी और मां काली की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।
दिवाली के महापर्व है मां लक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इस दिन इनके आशीर्वाद से व्यक्ति के कष्ट मिट जाते हैं। धनतेरस के दिन कुबेर के खास मंत्रों का जाप आपकी धन संबंधी समस्त समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है । इससे दरिद्रता दूर होती है और साल भर तक पैसे की कमी नहीं होती।
आज इन मंत्रों से करिए कुबेर की पूजा, आपकी दरिद्रता होगी दूर, घर में नहीं होगी पैसे की कमी
Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi (जय गणेश जय गणेश देवा आरती ):
किसी भी शुभ काम या पूजा -पाठ की शुरुआत गणेश जी को या द करके की जा ती है। दरअसल गणेश जी को प्रथम पूजनी य देवता का वरदा न प्रा प्त है (Ganesh Ji Ki Aarti)। इनकी अरा धना के बि ना कोई भी पूजा अधूरी मा नी जा ती है।
पूजा के समय गणेश जी की आरती करना बिल्कुल भी न भूलें (Ganesh Aarti)। कहते हैं गणपति बप्पा की आरती से पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त हो जा ता है।
यहां देखें गणेश जी की आरती के लिरिक्स।
भगवान गणेश की आरती-
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथेसिंदूर सोहे, मूसेकी सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगेसंत करेंसेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजेसेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभुसुतकारी। कामना को पूर्णकरो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
Dhanvantari Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi: धन्वंतरिजी की आरती
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।
जरा-रोग सेपीड़ित, जन-जन सुख देवा।।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।।
तुम समुद्र सेनिकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
आयुर्वेद बनाया, जग मेंफैलाया।
सदा स्वस्थ रहनेका, साधन बतलाया।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति सेशोभा भारी।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारेचरणों का घेरा।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
लक्ष्मी जी की आरती: Lakshmi ji ki aarti, Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
मैया जी को निशदिन सेवत
हरि विष्णुविधाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।नारद ऋषि गाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गारूप निरंजनी सुख सम्पत्ति दाता
मैया सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल निवासिनि तुम ही शुभदाता
मैया तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभावप्रकाशिनी
भवनिधि की त्राता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर मेंतुम रहती सब सद्गुण
द्गु आता मैया सब सद्गुण द्गु आता
सब सम्भव हो जाता
मन नहीं घबराता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होतेवस्त्र न कोई पाता
मैया वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव
सब तुमसेआता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
शुभ गुणगु मन्दि एलियनर सुन्दर क्षीरोदधि जाता
मैया सुन्दर क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मीजी की आरती जो कोई नर गाता
मैया जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
हरि विष्णुविधाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
।। मैया जय लक्ष्मी माता।।
भगवान कुबेर की आरती | Kuber Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi
ऊँ जैयक्ष कुबेर हरे,
॥ ऊँ जैयक्ष कुबेर हरे...॥
शिव भक्तों मेंभक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ऊँ जैयक्ष कुबेर हरे...॥
स्वर्णसिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं॥
॥ ऊँ जैयक्ष कुबेर हरे...॥
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करें॥
॥ ऊँ जैयक्ष कुबेर हरे...॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।=
मोहन भोग लगावैं,
साथ मेंउड़द चने॥
॥ ऊँ जैयक्ष कुबेर हरे...॥
बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े,
स्वामी हम तेरी शरण पड़े ।
अपनेभक्त जनों के,
सारेकाम संवारे॥
॥ ऊँ जैयक्ष कुबेर हरे...॥
मुकुट मणी की शोभा,
मोतियन हार गले,
स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,
घी की जोत जले॥
॥ ऊँ जैयक्ष कुबेर हरे...॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
कुबेर पूजा मंत्र
1. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
3. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
श्री कुबेर पूजा विधि
1. आपके पास श्री कुबेर की मूर्ति है तो उसको पूजास्थल या शुद्ध स्थान पर चौकी पर रख लें, अगर मूर्ति नहीं है तो तिजोरी या गहनों के बक्से को श्री कुबेर के रूप में लेकर पूजा कीजिए। तिजोरी, बक्से आदि की पूजा से पहले सिन्दूर से उस पर स्वस्तिक का चिह्न बनाना चाहिए और उस पर 'मौली' बाँधना चाहिए।
2. इसके बाद कुबेर का ध्यान कर मनुज ब्राह्य विमान स्थितम्, गरुण रत्न निभं निधि नायकम्, शिव सखं मुकटादि विभूषितम्, वर गदे दधतं भजे तुन्दिलम्। मंत्र का जाप करें।
3. कुबेरजी का ध्यान कर तिजोरी के सामने आवाहन मुद्रा दिखाकर आवाहयामि देव! त्वामिहायाहि कृपां कुरु, कोशं वर्द्धय नित्यं त्वं परि रक्ष सुरेश्वर, श्रीकुबेर देवं आवाहयामि मंत्र बोलकर श्रीकुबेर का आवाहन करें।
4. पांच पुष्प अंजलि में लेकर तिजोरी के पास छोड़ें और नाना रत्न समायुक्तं कार्त्त स्वर विभूषितम्, आसनं देव देवेश! प्रीत्यर्थं प्रति गृह्यताम्, श्रीकुबेरदेवाय आसनार्थे पंञ्च पुष्पाणि समर्पयामि मंत्र पढ़ें।
5. इसके बाद चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से कुबेरजी की पूजन करें और साथ-साथ ये मंत्र बोलें