डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी ,जीवन परिचय निबंध आंबेडकर जयंती

डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर, जिन्हें बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी और दलितों (पहले अछूत के रूप में जाना जाता था), महिलाओं और अन्य हाशिए के समुदायों के अधिकारों की वकालत की। भारत में। उन्होंने भारतीय संविधान के प्रारूपण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें आधुनिक भारत के संस्थापक पिताओं में से एक माना जाता है।


डॉ भीमराव अम्बेडकर की प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

(Dr. BR Ambedkar Education)



Dr. B.R. Ambedkar का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महू में हुआ था, जो वर्तमान भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक छोटा छावनी शहर है। उनका जन्म एक महार (दलित) परिवार में हुआ था, जिसे हिंदू समाज में जाति पदानुक्रम में सबसे नीचे माना जाता था। उनके पिता, रामजी सकपाल, ब्रिटिश भारतीय सेना में एक सूबेदार (जूनियर अधिकारी) थे, और उनकी माँ भीमाबाई एक गृहिणी थीं। भीमराव अपने माता-पिता की 14वीं और अंतिम संतान थे, और उनके प्रारंभिक वर्षों में गरीबी और भेदभाव देखा गया था।



कई बाधाओं का सामना करने के बावजूद भीमराव ने शिक्षा प्राप्त करने का दृढ़ निश्चय किया। वह सतारा में स्कूल गए और बाद में अपनी पढ़ाई करने के लिए बॉम्बे (अब मुंबई) चले गए। 1913 में, उन्हें न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति मिली, जहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। उन्होंने लंदन में ग्रेज़ इन में कानून का अध्ययन किया और एक विदेशी विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले पहले दलित बने।


Dr.-Br-Ambedkar

What are the 32 degrees of Ambedkar?


Dr. B.R. Ambedkar B.A., M.A.,MA, MSc,LLD, D. Litt and Bar-at-law, DSc( doctor of science),PhD.
University of Mumbai (B.A., M.A.) .
Columbia University (MA, PhD) .
London School of Economics (MSc, DSc) .
B.A., M.A.,MA, MSc,LLD, D. Litt and Bar-at-law,
DSc( doctor of science),PhD.


डॉ भीमराव अम्बेडकर जाति जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई

(BR Ambedkar Caste Issue and Early Life)



Dr. B.R. Ambedkar एक दलित के रूप में हुए भेदभाव और उत्पीड़न से बहुत प्रभावित थे और उन्होंने जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका मानना ​​था कि जाति व्यवस्था भारत में सामाजिक और आर्थिक असमानता का मूल कारण थी और उन्होंने जाति व्यवस्था के उन्मूलन और समानता, न्याय और मानवाधिकारों पर आधारित समाज के निर्माण की वकालत की।



उन्होंने 1924 में बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की, जिसका उद्देश्य अछूतों के कल्याण और अधिकारों को बढ़ावा देना था। उन्होंने दलितों को सार्वजनिक जल स्रोतों का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए एक अभियान भी चलाया, जो पारंपरिक रूप से उच्च जाति के हिंदुओं के लिए आरक्षित थे।



1932 में, अम्बेडकर ने दलितों के लिए राजनीतिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने उनके लिए एक अलग निर्वाचक मंडल प्रदान किया। हालाँकि, इस कदम का महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अन्य नेताओं ने विरोध किया, जो एक अखंड भारत में विश्वास करते थे। अम्बेडकर ने अंततः एक अलग निर्वाचक मंडल की मांग छोड़ दी और इसके बजाय दलितों के लिए भारतीय संसद और राज्य विधानसभाओं में सीटों के आरक्षण पर बातचीत की।




डॉ भीमराव अम्बेडकर द्वारा भारतीय संविधान में योगदान

(BR Ambedkar Father of Indian Constitution)




Dr. B.R. Ambedkar ने भारतीय संविधान के प्रारूपण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था। उन्हें संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, और समानता, स्वतंत्रता और समाज पर आधारित उनकी दृष्टि भाईचारा संविधान में झलकता है।



संविधान में अम्बेडकर के योगदान में अस्पृश्यता के उन्मूलन, समानता का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है। उन्होंने शिक्षा और रोजगार में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के रूप में सकारात्मक कार्रवाई की अवधारणा भी पेश की।



डॉ भीमराव अम्बेडकर का राजनीतिक करियर

(Dr.BR Ambedkar Career)



भारत लौटने के बाद अम्बेडकर जी ने छुआछूत व जातिवाद, जो किसी बीमारी से कम नहीं थी, ये देश को कई हिस्सों में तोड़ रही थी और जिसे देश से निकालना बहुत जरुरी हो गया था, इसके खिलाफ अम्बेडकर जी ने मोर्चा छेड़ दिया. अम्बेडकर जी ने कहा नीची जाति व जनजाति एवं दलित के लिए देश में अलग से एक चुनाव प्रणाली होनी चाहिए, उन्हें भी पूरा हक मिलना चाहिए कि वे देश के चुनाव में हिस्सा ले सके. अम्बेडकर जी ने इनके आरक्षण की भी बात सामने रखी. अम्बेडकर जी देश के कई हिस्सों में गए, वहां लोगों को समझाया कि जो पुरानी प्रथा प्रचलित है वो सामाजिक बुराई है उसे जड़ से उखाड़ कर फेंक देना चाहिए. उन्होंने एक न्यूज़ पेपर ‘मूक्नायका’ (लीडर ऑफ़ साइलेंट) शुरू किया. एक बार एक रैली में उनके भाषण को सुनने के बाद कोल्हापुर के शासक शाहूकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस बात का पुरे देश में बहुत हल्ला रहा, इस बात ने देश की राजनीती को एक नयी दिशा दे दी थी.



Dr. B.R. Ambedkar का राजनीतिक जीवन 1930 के दशक में शुरू हुआ जब वे बॉम्बे विधान सभा के लिए चुने गए। बाद में उन्होंने वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य के रूप में और स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में श्रम मंत्री के रूप में कार्य किया।



1936 में अम्बेडकर जी ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन किया. 1937 के केन्द्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 15 सीट की जीत मिली. अम्बेडकर जी अपनी इस पार्टी को आल इंडिया शीडयूल कास्ट पार्टी में बदल दिया, इस पार्टी के साथ वे 1946 में संविधान सभा के चुनाव में खड़े हुए, लेकिन उनकी इस पार्टी का चुनाव में बहुत ही ख़राब प्रदर्शन रहा. कांग्रेस व महात्मा गाँधी ने अछूते लोगों को हरिजन नाम दिया, जिससे सब लोग उन्हें हरिजन ही बोलने लगे, लेकिन अम्बेडकर जी को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने उस बात का विरोध किया. उनका कहना था अछूते लोग भी हमारे समाज का एक हिस्सा है, वे भी बाकि लोगों की तरह नार्मल इन्सान है.




डॉ भीमराव अम्बेडकर की म्रत्यु एवं कारण

(Dr. Br Ambedkar Death and Reason)



डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 को दिल्ली, भारत में उनके घर पर हुआ था। उनकी मृत्यु का कारण मधुमेह और कमजोर किडनी से उत्पन्न जटिलताओं को माना गया था। अम्बेडकर अपने पूरे जीवन में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित रहे, जिनमें अवसाद के दौरे भी शामिल थे, जिसके लिए उन्होंने एक दलित के रूप में सामना किए गए भेदभाव और उत्पीड़न को जिम्मेदार ठहराया। अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद, उन्होंने सामाजिक न्याय और भारत में वंचित समुदायों के उत्थान के लिए अथक रूप से काम करना जारी रखा।



उनकी मृत्यु राष्ट्र के लिए एक बड़ी क्षति थी, और उन्हें एक दूरदर्शी नेता और मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय के चैंपियन के रूप में याद किया जाता है। उनकी विरासत भारतीयों की पीढ़ियों को भेदभाव, असमानता और अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करती है। अम्बेडकर जी के अविश्वसनीय कामों की वजह से उनके जन्म दिन 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के नाम से मनाया जाने लगा. इस दिन को नेशनल हॉलिडे घोषित किया, इस दिन सभी सरकारी व प्राइवेट संस्थान स्कूल कॉलेज का अवकाश होता है. 




FAQ


Q: 1 डॉ अम्बेडकर का जन्म कब हुआ था?

Ans: 14 अप्रैल 1891


Q: 2 डॉ अम्बेडकर का जन्म कहां हुआ था ?

Ans: मध्य प्रदेश इंदौर के महू छावनी में हुआ था।



Q: 3 डॉ अम्बेडकर के पिता का नाम क्या था?

Ans: रामजी मोलाजी सकपाल था।


Q: 4 डॉ अम्बेडकर की माता का नाम क्या था?

Ans: भीमा बाई ।


Q: 5 डॉ अम्बेडकर के पिता का क्या करते थे?

Ans: सेना मैं सूबेदार थे ।  

                          

Q: 6 डॉ अम्बेडकर की माता का देहांत कब हुआ था?

Ans: 1896


Q: 7 डॉ अम्बेडकर की माता के देहांत के वक्त उन कि आयु क्या थी ?

Ans: 5वर्ष।


Q: 8 डॉ अम्बेडकर किस जाती से थे?

Ans: महार जाती।


Q: 9 महार जाती को कैसा माना जाता था?

Ans: अछूत (निम्न वर्ग )


Q:10 डॉ अम्बेडकर को स्कूल मैं कहां बिठाया जाता था?

Ans: क्लास के बहार।


Q: 11 डॉ अम्बेडकर को स्कूल मैं पानी कैसे पिलाया जाता था?

Ans: ऊँची जाति का व्यक्ति ऊँचाई से पानी उनके हाथों परडालता था!


Q:12 बाबा साहब का विवाह कब और किस से हुआ?

Ans: 1906 में रमाबाई से।


Q: 13 बाबा साहब ने मैट्रिक परीक्षा कब पास की?

Ans: 1907 में।


Q: 14 डॉ अम्बेडकर के बंबई विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने से क्या हुवा?

Ans: भारत में कॉलेज में प्रवेश लेने वाले पहले अस्पृश्य बन गये।


Q: 15 गायकवाड़ के महाराज ने डॉ अंबेडकर को पढ़ने कहां भेजा?

Ans: कोलंबिया विश्व विद्यालय न्यूयॉर्क अमेरिका भेजा।


Q: 16 बैरिस्टर के अध्ययन के लिए बाबा साहब कहां और कब गए?

Ans: 11 नवंबर 1917 लंदन में।


Q: 17 बड़ौदा के महाराजा ने डॉ आंबेडकर को अपने यहां किस पद पर रखा?

Ans: सैन्य सचिव पद पर।


Q: 18 बाबा साहब ने सैन्य सचिव पद को क्यों छोड़ा?

Ans: छुआ छात के कारण।


Q: 19 बड़ौदा रियासत में बाबा साहब कहां ठहरे थे?

Ans: पारसी सराय में।


Q: 20 डॉ अंबेडकर ने क्या संकल्प लिया?

Ans: जब तक इस अछूत समाज की कठिनाइयों को समाप्त ने कर दूं तब तक चैन से नहीं बैठूंगा।


Q: 21 डॉ अंबेडकर ने कौनसी पत्रिका निकाली?

Ans: मूक नायक ।


Q: 22 बाबासाहेब वकील कब बने?

Ans: 1923 में ।


Q: 23 डॉ अंबेडकर ने वकालत कहां शुरु की?

Ans: मुंबई के हाई कोर्ट से ।


Q: 24 अंबेडकर ने अपने अनुयायियों को क्या संदेश दिया?

Ans: शिक्षित बनो संघर्ष करो संगठित रहो ।


Q: 25 बाबा साहब ने बहिष्कृत भारत का प्रकाशन कब आरंभकिया?

Ans: 3 अप्रैल 1927 


Q: 26 बाबासाहेब लॉ कॉलेज के प्रोफ़ेसर कब बने?

Ans: 1928 में।


Q: 27 बाबासाहेब मुंबई में साइमन कमीशन के सदस्य कब बने?

Ans: 1928 में।


Q: 28 बाबा साहेब द्वारा विधानसभा में माहर वेतन बिल पेश कब हुआ?

Ans: 14 मार्च 1929


Q: 29 काला राम मंदिर मैं अछुतो के प्रवेश के लिए आंदोलन कब किया?

Ans: 03 मार्च 1930


Q: 30 पूना पैक्ट किस किस के बीच हुआ?

Ans: डॉ आंबेडकर और महात्मा गांधी।


Q: 31 महात्मा गांधी के जीवन की भीख मांगने बाबा साहब के पास कौनआया?

Ans: कस्तूरबा गांधी


Q: 32 डॉ अम्बेडकर को गोल मेज कॉन्फ्रंस का निमंत्रण कब मिला?

Ans: 6 अगस्त 1930


Q: 33 डॉ अम्बेडकर ने पूना समझौता कब किया?

Ans: 1932


Q: 34 अम्बेडकर को सरकारी लॉ कॉलेज का प्रधानचार्य नियुक्त कियागया?

Ans: 13 अक्टूबर 1935 को।


Q: 35 मुझे पढे लिखे लोगोँ ने धोखा दिया ये शब्द बाबा साहेब ने कहां कहे थे?

Ans: आगरा मे 18 मार्च 1956 ।


Q: 36 बाबा साहेब के पि. ए. कोन थे?

Ans: नानकचंद रत्तु।


Q: 37 बाबा साहेब ने अपने अनुयाइयों से क्या कहा था?

Ans:  इस करवा को मै बड़ी मुस्किल से यहाँ तक लाया हु ! इसे आगे नहीं ले जा सकते तो पीछे मत जाने देना।


Q: 38 देश के पहले कानून मंत्री कौन थे?

Ans: डॉ अम्बेडकर।


Q: 39 स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना किस ने की?

Ans: डॉ अम्बेडकर।


Q: 40 डॉ अंबेडकर ने भारतीय संविधान कितने समय में लिखा?

Ans: 2 साल 11 महीने 18 दिन।


Q: 41 डा बी.आर. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्मं कब और कहा अपनाया?

Ans:  14 अक्टूबर 1956, दीक्षा भूमि, नागपुर।


Q: 42 डा बी.आर. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्मं कितने लोगों के साथ अपनाया?

Ans: लगभग 10 लाख।


Q: 43 राजा बनने के लिए रानी के पेट की जरूरत नहीं, तुम्हारे वोट की जरूरत है ये शब्द किस के है?

Ans: डा बी.आर. अम्बेडकर।


Q: 44 डा बी.आर. अम्बेडकर के दुवारा लिखित महान पुस्तक का क्या नाम है?

Ans: दी बुद्ध एंड हिज धम्मा।


Q: 45  बाबा साहेब को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया?

Ans: भारत रत्न।


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